Thursday 7 May 2020

स्वप्नों में साई – भाग 3


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07.05.2020 गुरुवार

सभी सायि भक्तों कॉ बाबा का आशीर्वाद

आज मैंने भुवनॅश्वर से भेजा श्रीमति माधवि का इस प्रसंग् को प्रचुरित कर्ताहूं ।

स्वप्नों में साई – भाग 3

"
ॐ साई राम" सभी साई भक्तोंको।

साई बनिसा रावाड़ा गोपालराव जी का प्रसंग में आगे बढ़ाती हु।उनका कहानी बहुत आश्चर्य जनक है।ओ जोभी पूछेगा बाबा से,ओ तुरंत जवाब देगा।बहुत अद्भुत कहानी है।
  
एक बार ओ बाबा से पूछा कि" जब हमारा जीवन मे बहुत समस्या आयेगा थो,आद्यात्मिक उन्नति कहासे होगा बाबा?"तब बाबा ने बोला "तुम्हारा जीवन का कष्ट और सुख से ही तुम्हारा मन मे आद्यात्मिक भावना जनम लेगा," अभी उनको पता चेला सच्ची में एसा ही होता है।
   
साई बानीस जी 1999 में भारत प्रभुत्व शाखा में higher post में जब थे,तब बाबा एक दिन स्वप्न में आया,बोला कि" अभी तुम आकाश में जहाज को चेला रहा है।इंधन खतम होने का पहले तुम जहाज को उतार देना चाहिए।" ओ बहुत सोचा कि इसका क्या अर्थ है?बाबा एसा क्यों बोला? बाद में समझ मे आया कि बाबा मुझे V.R. S. लेने केलिए बोलरहा है।तब में नॉकरी छोड़ के बाबा का भक्तोंके सेवा में मेरा सारा जीवन लगाना चाहता था।
 
एक दिन मेरा मन मे खयाल आया कि" जीवन को बहुत लोग रेल यात्रा कहता है ,क्यों? बस,बाबा समादान, मेरा स्वप्न में मेरी माँ का रूप में आया,बोला कि" तुम मेरा गर्ब से तेरा प्रयाण शुरू किया।फिर तुम एक दिन मर जायेगा, दूसरा गर्ब में पहुंचेगा।तुम्हारा पेहेल प्रयाण मेरा गर्ब से शुरू हुआ,दूसरा गर्ब में अंत हुआ,फिर शुरू होगा,"ऐसा करके बाबा उनको बहुत समझाया।कोई भी प्रष्न मन मे आनेसे,बाबा तुरंत दूसरा रूप में आके जवाब देथा था।
   
एक दिन ओ बाबा से पूछा कि" बाबा,तुम मुझे अनेक प्रकार का समस्या को समादान किया, अभी मुझे ग्नान मार्ग में जाने केलिए मार्गदर्शन करो" बोला।उसदिन बाबा एक किसान का रूप में आया ,बोला" देखो,में तुम्हारा जीवन मे अग्नान को निकालूंगा,तुम ग्नान का फसल डालो।उस फसल को अच्छा से बड़ा करो,और ग्नान ज्योति जलाके,उस ज्योति से तुम्हारा जीवन को आगे बढ़ाओ" बोला।देखा,जोभी,जैसा भी प्रस्न हो,बाबा उनको तुरंत समादान किया।
   
साई चरित्र में जैसा बाबा हेमाद्रिपंत का घर होली का दिन गयाथा,एसा ही साई बनिसा जी का घर भी आया।1996,एक दिन बाबा स्वप्न में चीफ एग्जेक्युटिव अफिसर का रूप में आके बोला कि" में आज तुम्हारा घर मे खाने केलिए आयेगा" ओ बहुत खुश हुआ।किन्तु उनका श्रीमती को बाबा से ज्यादा विस्वास नई था तब।ओ अपराह्न एक बझे तक देखा,कोई नई आया।ओ खाना खलिया।किन्तु साई बनिसा जी इंतजार करथा रहा।दो बजगया।कोई नई आया।मुझे बहुत दुःख हुआ।में भी खाने केलिए बैठा,एक आदमी आया,ओ उनका आफिस में काम करनेवाले ,उनका नाम सतथैया था।ओ खाना खाया,बाद में बोला कि "में इधर से जा रहा था,मुझे लगा कि में आज आपका घर मे खाना खायेगा।"बाबा जिस रूप में भी आये,हमे थो बहुत खुश हुआ।
 
अब आप सभी सोचिये,साई बनिसा जी बहुत भाग्यशाली है।बाबा हर समय उनका साथ मे है।सब प्रस्न का समादान देता है।अगला भाग में बाबा कैसा उनका ऊपर कृपा किया ,जानेंगे।

" सर्वम साई नाथरपन मस्तु"


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