Monday 17 February 2020

रामायण और साई सत चरित



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17.02.2020  सोमवार

ओम साई श्री साई जयजय साई

सभी साई भक्तॉ कॉ बाबा का आशीर्वाद

रामायण और साई सत चरित


" ॐ साई राम" सभी साई भक्तोंको। अभी में एसा कहानी प्रस्तुत कर्ति हु आप को आश्चर्य लगेगा कि रामायण का साथ साई सत्चरित्र कितना मिलता है।
     
हम सब जानते कि राम जैसा मर्यादा पुरुषोतम और कोई नई। किन्तु राम भगवान भी अपना अवतार को साकार करने के लिए एक बार झूठ बोला।सुनिए किस अवसर पर उनको झूट बोलना पड़ा।
   
 
जब रामचंद्र ने अरण्य वास के लिए निकल पड़ा,दशरथ महाराज ने अपना पुत्र को वापस बुलाने के लिए मंत्री सुमन्त को बोला कि" अरण्य में पहुँचने के बाद रामचंद्र को वापस लेके आना,ये एक पिता का नई,राजा का   अग्ना बोलके वापस लाना" बोला। क्योंकि दशरथ महाराज को अच्छा से पता हे कि राम कभी भी एक राजा का अग्ना उल्लंघ नई करेगा। जब अरण्य में पहुंचने के बाद सुमन्त ने राम जी से कहा कि राजा का अग्न है कि "तुम को वापस चेलना हे अयोद्या"। तब राम जी बोला" सुमन्त जी,ये संभव नही हे, तुम राजा दशरथ को बोलना की,रथ चेलनेका समयओ गोंडा का चेलनेका आवाज में मुझे कुछ भी तुम्हारा आवाज सुनाई नई दिया। मुझे अरन्यवास नई करने से रावण,और अन्य राक्षसोंका वध कैसा होगा? तुम जाओ" मुझे कुछ सुनाय नई दिया" बोलो। ये तो रामायण है। साई सत्चरित्र में बाबा ने एक बार झूठ बोल,कब बोला?
    
 एक रामदासी को अपना पेट मे दर्द है,ओषद लाने के लिए दुकान भेजा था।ओ दुकान गया। बाबा ने विष्णुसहस्रनाम पुस्तक रामदासी का पास से निकाल के स्यामा को दिया,बोला" स्यामाइस पुस्तक को तुम रोज एक बार पड़ना,कमसेकम एक नाम पड़ना।एक बार मुझे छाती में दर्द हुआ तो में इस पुस्तक को मेरा हृदय में लगालिया,मुझे बहुत आराम मिला" एस बोलके शामा को विष्णुसहस्रनाम दिया।बाद में रामदासी आया,बहुत झगड़ा किया, ये कहानी हम सब जानता है। शामा जैसा भक्त को उपकार करने के लिए बाबा ने पेट मे दर्द बोलके झूट बोला। रामायण में रामचंद्र एसा क्यों किया, और साई राम ने एसा झूट क्यों बोला,ओ सब खुद भगवान जाने।
    
जब राम ने अरन्यवास में थेराम का भाय भरत ने अपनी माँ का कुटिल काम  को शर्मिंदा होके, अरण्य में गयाराम को वापस अयोद्या लाने के लिए। राम ने इनकार किया,और उनका पादुका दिया,बोला कि" भरत,तुम ये पादुका ले जाओ,ये भगवान का पादुका है,ये राज्य करेगा" ।ओ पादुका लेके भरत ने सिंघासन पर रखा। ये कहानी हम सब जांथाहि है।
    
एसाहि बाबा भी एक बार दीक्षित,बाई कृष्णाजी, बाबा का पास पादुका लेके आयथा। बाबा ने बोला" ये पादुका भगवान का पादुका हैतुम लोग इसको नीम गाछ का नीचे प्रतिस्ठा करनाजो भी,गुरुवार,शुक्रवार को इस एसपादुका को पूजा करेगा,भगवान उनका हर मनोकामना पूर्ण करेगा। तो उपासनी महाराज ने" सदानिम्भ वृक्षस्य" श्लोक लिखे नीम गाछ का नीचे पादुका को प्रतिस्ठा किया। ओ पादुका हम लोग अभी भी गुरुस्थान में देख सकता है।मतलब पादुका पूजा को रामायण में भी,साई चरित्र में भी बहुत महत्व दिया है। भगवान का पादुका को हमारा हृदय में स्थापित करनेसे भगवान बहुत खुश हो जाता है। इसप्रकार साई चरित्र में अनेक कहानी  है जो रामायण का साथ मिलता झूलता है। तो अब हुआ ना साई ने कैसा साई राम बन गया।इसी तरह साई भगवान , शिव भगवान  कैसा हुआ,अनेक कहानी लेके में महाशिवरात्रि का दिन फिर आप से मिलूंगी।

 " सर्वम साई नाथरपन मस्तु"


5 comments:

  1. Sachidanada sadguru sainath maharaj ki jai!!
    Sada nimba vrukshasya mooladivasath sudhasarvinam tikkayamapyyapriyantam tarunkalpavrukashadikantam namma eeshwaram sadguruam sainatham

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