Thursday 30 April 2020

स्वप्नों में साई - 2

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30.04.2020 गुरुवार
ऑम साई श्रीसाई जयजय साई
सभी साई भक्तों कॉ बाबा का आशीर्वाद
आज मैने भुवनॅश्वर से श्रीमति माधवि ने भेजा इस प्रसंग कॉ प्रचुरित कर्ता हूं ।

स्वप्नों में साई - 2
" ॐ श्री साई राम" सभी साई भक्तोंको।
"साई- स्वप्न "इस भाग को में आगे बढ़ाती हु।बहुत अच्छा लगेगा।सुनिए।समझने केलिए प्रयत्न कीजिए।
 श्री साई बानीस रावाड़ा गोपालराव जी का जीवन मे बाबा का पात्र है ये कहानी।सच्ची घटना है।  
श्री साई साथ चरित्र में हम सब जानते है कि बाबा दक्षिणा मांग के लेता था।किसी किसी को स्वप्न में आके भी मांग था था।यदि बाबा नई माँग ने से भी कोई कोई भक्त देता था।तब बाबा नई ले था था।यदि कोई दक्षिण नई देने से भी बाबा गुस्सा नई कार था था।कभी कभी बाबा एकी भक्त से चार बार भी दक्षिण लेता था।


   आज बाबा शरीर से नई है।फिर भी स्वप्न में आके दक्षिण माँग था है।एसा ही साई बानीस जी का अनुभव एक है।एक दिन बाबा स्वप्न में आया जैसा सूट,बूट,टोपी,काल चश्मा पैहन के एक आदमी का रूप में आया।बोला कि " तुम तुम्हारी बेटी का शादी टीक करने के लिए वैज़ाग आया,तुम्हारा समुदी लोगोंको दहेज का रूप में बहुत पैसा दिया,क्या मुझे कुछ नई देगा,पांच रुपये थो दो"।बोला।बाबा एसा दक्षिण मांगना बहुत भाग्य है साई बनिसा जी बहुत खुश हुआ।उसका बाद का दिन सुबह ओ वैज़ाग रेलवे स्टेशन में खड़ा था,हैदराबद वापस जानेकेलिये एक आदमी आया,पूरा स्वप्न में जैसा देखा,वैसाही,काला चेष्म, सूट,बूट,टोपी,सब जैसा कि वैसा,उनसे बीख माँगना जैसा आया,पाँच रूपया मांगा। उनको पांच रुपये देने बहुत खराब लगा।इसीलिए पांच रुपये नोट को उनका सामने गिराया,और बोला,"सर्,आपका पांच रूपया नीचे गिरगाय,लीजिए" ।ओ आदमी सर्वान्तर्यामी है,उसको सब पता है।ओ पांच रूपया किसका है,ओ लेलिया,और बहुत हँसा,एसा सुंदर हसी और कोई नई कार सकता।क्योंकि ओ साई नाथ का अद्भुत हसी है।
   बहुत लोगोंको बाबा स्वप्न में आके,उनका आद्यात्मिक उन्नति केलिए भी बहुत कुछ बोलते थे।साई चरित्र में, बी. वी. देव को बोला था,जैसा,साई बनिसा को भी

  स्वप्न में  एक दिन आया।ओ पूछा कि " बाबा,"जीवन मतलब क्या है"।तब बाबा ने जवाब दिया कि" जीवन एक सफेद रंग का कागज जैसा है,तुम जो अच्छा लिखेगा उसमे,सब कोई तुम को प्रशंसा करेगा,यदि तुम बुरा लिखेगा उसको सब कोई चीर के फेक देगा।यही जीवन का अथि रहस्य है" बोला।

    फिर एक दिन बाबा से पूछा" बाबा,मुझे प्रशांत जीवन दो" बोला।थो उसको बाबा जवाब दिया" जीवन का उन्नत शिखर को जितना ऊपर पहुंचेगा,जीवन उतना आग बरसेगा,यदि जीवन को सब का साथ बिताएगा ,जैसा नदी का किनारे में उल्लास का साथ रहता है ,,उतना सहजता का साथ शांति से जी सकेगा।( जो मेने समझा, जो ऊपर में रहता है ना उसी को गिरने का डर रहता है,यही बात बाबा बोला)।तब से ओ बाबा का भक्ति करना शुरू किया।आगे  बाबा का आशीर्वाद,आगे सप्तहाः।

"सर्वम साई नाथरपन मस्तु"


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