13.01.2020 सॉमवार
ओम साई श्रीसाई जय जय साई
सभी साई भक्तॉ कॉ बाबा का आशीर्वाद
आज भुवनॅश्वर सॅ श्रीमति माधवि ने भेजा दिया इस उपन्यास कॉ प्रचुरित कर्ता हू ।
भगवान क्रुष्ण और बाबा का निर्याण
(बाबा का असली नाम)
" ॐ साई राम" सभी साई भक्तोंको।
साई बानिसा,रावड गोपालराव जी लिखा हुआ पुस्तक( मंदारा
मकरंदालु) से साई नाथ और कृष्णपरमात्मा दोनों, एकी अवतार का कार्य किया है लगबग ,दोनोका समानता मैने आप सभी साई भक्तोंको सुनाया,अब ओ दोनों कैसा
अवतार समाप्त किया ,बताउंगी।
महाभराथ युद्ध का बाद कृष्णा भगवान ने अपना द्वारका चेला गया। समय किसी के लिए नई रुकता
है। कृष्णा अवतार समाप्ति का समय आ गया। एक दिन कृष्णा ने जंगल मे एक गाछ का ऊपर बैटाता। उसका पायर का
उंगली हिलाराहा था। उसी समय एक भाल्लूक भगवान का उंगली को हिरण समझ कर तीर चेलाय। ओ थीर सीधा
भगवान का पायर का उंगीली को लगा। उसको बहाना बनाके भगवान ने देह त्याग दिया। अपना वैकुंठ धाम
पहुंच गया।
अभी बाबा कैसा अपना देह त्याग दिया सब को पता है। अपना प्रिय भक्त
तात्या के लिए अपना प्राण देदिया। 1918 विजयदासमी का दिन अपराह्न 2.30 को बाबा सबको अपना,अपना घर जाने को कहा, और ओ बय्याजी का कंदे में माथा रखे अपना आखरी
स्वास लिया। ये कहानी सब जानता है। किन्तु उसका कुची समय पहले बाबा बोला," मुझे द्वारकामाई में अच्छा नई लगता है, मुझे बुटीवाडा लेके चेलो,बोला। बूटी वाडा असल मे बनाया कृष्णा विग्रह
प्रतिस्ठा के लिए। ओ बूटी वाड़ा कृष्णा मंदिर के लिए बनाया था। किन्तु बाबा देह
त्याग ने का बाद बाबा का समादि मंदिर बना। अभी वही समादि मंदिर सभी साई भक्तों के लिया वैकुंठ धाम
बनगया। वही द्वारका,पंडरी,अयोद्या,सब पुण्य थीर्थ समादि मंदिर में ही है। अब हुआ ना,बाबा,और कृष्णा भगवान समान। दोनों भक्तवत्सल है। इस कलियुग में
सभी देवी,देवता,बाबा का समादि मंदिर में ही है।
एक बार साई बानीसा गोपालराव जी बाबा से पूछा कि" बाबा,तुम जब चोट था, तुम्हारी माँ तुम को क्या नाम से बुलाती थी।
बाबा ने कहा,मेरी माँ मुझे " दया किशन" बुलाती
थी" बोला। अब तो हुआ ना,साईनाथ,कृष्णभगवान समान। " जय हो साईनाथ,जय हो कृष्ण
नाथ,जय हो पंडरी नाथ"।
" सर्वम साई नाथरपन मस्तु"
Sachidanada sadguru Sainath maharaj ki Jai!!
ReplyDeleteSai krishna hai krishna sai hai
Sairam..Sai shaam sai bhagavaan.jai sai naath.
ReplyDeleteSairam..Sai shaam sai bhagavaan.jai sai naath.
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