Wednesday 4 March 2020

अन्नदान

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05.03.2020  गुरुवार

ओम साई श्री साई जय जय साई

सभी साई बंधुऑ को बाबा का आशीर्वाद

अम मैने एक प्रसंग कॉ प्रचुरित कर रहा हूं ।  भुवनेश्वर से श्रीमति माधअविने भेजा ।

अन्नदान

" ॐ श्री साई राम" सभी साई भक्तोंको मेरी सादर प्रणाम।

अभी हम शिव महापुराण का साई सथ चरित्र का समानता कैसा हुआ,ये जानेका प्रयास करेंगे  ना,उस कथन को आगे बढ़ाते हुए में " गुरुगीता" ओर जा रही हु।
   
 गुरुगीता एसा महान ग्रं है कि देवोंका देव महादेव ने कलियुग में आनेवाली कस्ट निवारण के लिए अपना प्रिय पत्नी पार्वती को गुरुका महत्व बताया है। माँ पार्वती को माद्यम बनाके महादेव ने हम सभी लोगों को ये ग्रं दिया है।

 
  महादेव ने कहा कि अन्नदान सर्वश्रेस्ठ दान है। अन्न खाने से ही प्राण रेहता है। तो अन्नदान करने से प्राण दान का सामान है। कितना भी पाप करो, किसी को एक मुट्ठी अन्नदान करने से उसका हर पाप मिट जाता है।
   
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यही प्रस्ताव साई चरित्र में भरपूर है। बाबा स्वयं खाना बनाके सब गरीब लोगोंको खिलाता था। बाबा स्वयं कहता था कि " दो पेहेर को सभी प्राणी को भूक लगता है। कोई भी यदि दो पेहेर को तुम्हारा घर आनेसे उनको जरूर भोजन खिलाना।" अन्नम परब्रह्म स्वरूपं" समस्त जीव जन्तु आहार से ही उत्पन्न होता है। मरने का बाद फिर आहार में ही मिल जाता है। हम सभी लोग जानता है कि बाबा ,बहुत लोगों का घर खाने केलिए जाते थे। कोई न कोई रूप में। हेमतपंथ का घर फ़ोटो का रूप में गयाहै, तर्खड का घर भी गयाहै, देव का घर एक सन्यासी का रूप में गया, तर्खड का पत्नी एक बार एक कुत्ता को रोटी दिया तो ,बाबा बोला कि तुम मुझे पेट भर खाना खिलाया ,बोला ई सब कहानी हम सब जानता है। अभी भी बहुत साई भक्तोंको अनुभव है। यही बात गुरुगीता में महादेव ने पार्वती को बोला। साई चरित्र में बाबा अनुभव कराया। अब हुआ ना बाबा और कोई नई,देवोंका देव महादेव है।

 " सर्वम साई नाथरपन मस्तु"


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