Thursday, 19 March 2020

गुरु गीता और श्री सायि सत चरित्र - २

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19.03.2020  गुरुवार
ओम साई श्री साई जय जय साई

सभी साई भक्तॉको बाबा का आशीर्वाद

साई सभी मानवाली को करोन वैरस से रक्षा करो....ओम साईराम

आज मैने भुवनेश्वर से श्रीमति माधवि ने भॅजा दिया इस प्रसंग कॉ प्रचुरित कर रहा हूं । 

गुरु गीता और श्री सायि सत चरित्र - २
ॐ साई राम" सभी साई भक्तोंको।

इस गुरुवार को गुरुगीता को आगे बढ़ाती हु।साई नाथ हमारा सतगुरु है।कॅरोना भुथानु के वझेसे हमारा साई नाथ अकेला समाधि मंदिर में अपना भक्त फिर कब आएगा ,सोचके हमारा राह देखरहा है।
          

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गुरुगीता में परमेस्वर ने पार्वती को बोलरहा हे,की मनुश्य जीवन मे गुरु का महत्व।"उमा,जो साधक गुरुका पादतीर्थ पान करेगा,गुरु,खानेका बाद, वही खाना खायेगा,(गुरुचिस्ताम),सदा गुरुका ध्यान करेगा,गुरुका नाम जपेगा,गुरु का सेवा करेगा,उस साधक को थिदेव दर्शन देगा।(गुरुचरित्र में दीपक का कहानी)
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यही कहानी साई चरित्र में है,द्वारकामाई में भक्तगन साईनाथ का पादथीर्थ सेवन करते थे। साई का सेवा करते समय,साई का नाम स्मरण करते थे। बाबा जो खाना छोड़ दिया,उसी खाना खाते थे। राधाकृष्ण मई तो सदा साई खाया हुआ भोजन मात्र कार्थीथि।
 
 द्वारकामाई में राधाकृष्ण मई साई की नाम जप,साई का नाम संकीरतन,दिन रात,बाबा का नाम सपताह कर्ति थी। राधाकृष्ण माई असल मे पंडरी नाथ का भक्त थी। ओ शिरडी में साई नाथ का आधार पंडरी नाथ का दर्शन किआ हुआ भाग्यशाली है। गुरु का निवास काशी क्शेत्र है,गुरुदेव का पाद तिर्थ गंगा जल है,और गुरुबोध ही ॐ कर है।साईनाथ का भक्त को शिरडी ही पंडरी,काशी,जगन्नाथपुरी,द्वारका,बदरी,केदार,नासिक,उज्जैन, गोकरणं,आदि समस्त पुण्यथीर्थ है।साई नाथ का दर्शन योग सादन है,उनका वाक्य वेदवाक्य है।साई परब्रह्म स्वरूप है।साई सचिदानंद स्वरूप,मेघ जैसा अनेक भक्तोंको साई परमशिव है।
" सर्वम साई नाथरपन मस्तु"

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