26.03.2020 गुरुवार
ओम साई श्रीसई जयजय साई
सभी साई भक्तो को बाबा का आशीर्वाद
अग मैने भुवनेश्वर से श्रीमति माधवी ने बेजा
दिया इस प्रसंग कॉ प्रचुरित कर्ता हूं ।
" ॐ साई राम " सभी साई भक्तोंको।
आजकाल सम्पूर्ण पृथ्वी कारोन भुथानु के कारण अस्तव्यस्त हो रही है। आईये,विस्वाशान्थि के लिए बाबा को
निरंतर याद करेंगे,उनका नाम जप करके।
अभी में गुरुगीता का ओर चेलथि हु।
देवादिदेव महादेव ने मा पार्वती को केहे राहा हे कि
" हे उमा,हम सम्पूर्ण गुरु को ही प्रणाम करना चाहिए। सम्पूर्ण गुरु
कौन है?
सुनिए,जो गुरु धवल वस्त्र,धवल पुष्प, चेंदन,मोती का हार पैंके,शांति का स्वरूप लगेगा, जो गुरु सदा,सर्वदा संतोष से रहेगा,जो गुरु,दया,और ग्नान,अपना दो नेत्रोमे धारण करेगा,दिव्य शक्ति का, ईस्वर का प्राथीक, सम्पूर्ण दयालु, होगा, उसी को सम्पूर्ण गुरु कहला एगा।
अब साई चरित्र में बाबा को थोड़ा ध्यान से देखिए। बाबा एक पत्तर
का ऊपर बैठ ते थे। ओ अपना जीवन काल मे मात्र धवल वस्त्र पैना है। महालसा पति उनका
कंट को चन्दन लगाता था। चावड़ी में जब शेज आरती का समय भक्त लोग मोती
का हार पैना था था। कितना सुंदर मनोहर दृश्य,आज भी हम इसको याद करके आनंद अनुभव करेंगे।
गुरुदेव का आश्रम में धूमपान,मद्यपान निषेद है। गुरु का साम ने
कुछ भी बोलना नई है। पूरा शांत रेहना चाहिए। द्वारका मई में
खपार्थे,नूलकर,बूटी,
कभी बाबा का
सामने बात नई करते थे। बाबा जो भी बोलता था,ए लोग सुनता था। एक बार साई का
पीट ( बडा पत्तर) का ऊपर मुक्तराम बैठ ने के लिए चेस्ट किया। तब उनका पीछे से
खून निकला। गुरु का स्थान लेना अत्यन्त अपराद है। गुरु कभी भक्त का ऊपर खुशी से धन दिया होगा
तो ओ धन को भोगना नई। उसको गुरु का प्रसाद समझ के पास में रखना
चाहिए। गुरु निंदा कभी नई करना चाहिए। कोई गुरु निंदा करने से सृना भी नई चाहिए। ये माह अपराद
है। शिष्य को गुरुनिन्दा पतन करादे होगा।साई चरित्र में इसका अनेक उदाहरण है।
" सर्वम साई नाथरपन मस्तु"
Om Sai Ram🙏🏼🌷
ReplyDeleteOm jai Jai sai ram
ReplyDeleteఓం సాయి శ్రీ సాయి జయ జయ సాయి😉😉🎖️
ReplyDeleteSachidanada sadguru Sainath maharaj ķī jai!!!
ReplyDelete